प्रेम
धर्म ओर कर्तव्य क्यो कहे, जीवन तो प्रेम । कर्तव्य तो तुम्हें बंद करे, प्रेम करे मुक्त ।
माया का प्रेम तुम्हें ले जाए नरक । बोध का प्रेम करे तुम्हें मुक्त ।
धर्म ओर कर्तव्य क्यो कहे, जीवन तो प्रेम । कर्तव्य तो तुम्हें बंद करे, प्रेम करे मुक्त ।
माया का प्रेम तुम्हें ले जाए नरक । बोध का प्रेम करे तुम्हें मुक्त ।