पूछे लोग क्या बनना तुझे, क्या बनु इस जलती हुई दुनिया में
पूछे लोग क्या बनना तुझे, क्या बनु इस जलती हुई दुनिया में ॥
बनाना चाहे मुझे अपने जैसा, बनना नहीं मुझे मूर्ख ॥
मन-माया-काम-मोय-लोभ का ये खेल पुराना, खेलना नहीं मुझे ॥
राम का दास बन जाऊ, घूँघट के पट खोलता जाऊ, यही एक आनंद मुझे ॥