इश्क़ है आसमां में उड़ के जाना
इश्क़ है आसमां में उड़ के जाना
कि हर लम्हा सौ पर्दे उठाना
सबसे पहले साँस से छुड़ाना जां को
आख़िरी क़दम बिन पांव के ही उठाना
देखना इस जहां को जैसे नादेखा
अपनी नज़र को नज़र न मानना
अरे ऐ दिल मेरे! मुबारक हो तुझे
आशिक़ों के दायरे में दाख़िल हो जाना
नज़र की पहुँच के पार लेना नज़ारे
सीनों के गली-कूचों में दौड़ें मारना
ऐ जान, कब आया तुझ में ये दम?
ऐ दिल, कब से इस धड़कन को जाना?
~ रूमी
“इश्क़ है आसमां में उड़ के जाना कि हर लम्हा सौ पर्दे उठाना”
- इश्क़ है आसमां में उड़ के जाना → प्रेम का मतलब है ऊँचाइयों पर उड़ना, सांसारिक बंधनों से ऊपर उठना
- कि हर लम्हा सौ पर्दे उठाना → हर पल नई-नई सीमाओं, भ्रमों और बाधाओं को पार करना
भावार्थ: सच्चा प्रेम हमें रोज़ाना नए अनुभवों और समझ के स्तर पर ले जाता है, जहां हम जीवन के असली सच को देखते हैं।
“सबसे पहले साँस से छुड़ाना जां को आख़िरी क़दम बिन पांव के ही उठाना”
- सबसे पहले साँस से छुड़ाना जां को → पहले सांस (श्वास, सांसारिक जीवन) को त्याग कर आत्मा को मुक्त करना
- आख़िरी क़दम बिन पांव के ही उठाना → अंतिम कदम बिना शरीर के, यानी मरणोपरांत भी आत्मा की यात्रा जारी रखना
भावार्थ: प्रेम की यात्रा सांसारिक जीवन से ऊपर उठने की प्रक्रिया है, जो मृत्यु के बाद भी जारी रहती है।
“देखना इस जहां को जैसे नादेखा अपनी नज़र को नज़र न मानना”
- देखना इस जहां को जैसे नादेखा → दुनिया को वैसा देखो जैसे पहली बार देख रहे हो, बिना पूर्वाग्रह के
- अपनी नज़र को नज़र न मानना → अपनी सीमित समझ या दृष्टि को अंतिम सत्य न मानना
भावार्थ: इस संसार को नई दृष्टि से देखो, जो पुरानी सोच और सीमित नजरिए से परे हो।
“अरे ऐ दिल मेरे! मुबारक हो तुझे आशिक़ों के दायरे में दाख़िल हो जाना”
- अरे ऐ दिल मेरे! मुबारक हो तुझे → हे मेरे दिल! तुझे बधाई हो
- आशिक़ों के दायरे में दाख़िल हो जाना → अब तुम प्रेमी की गहराई और समुदाय में शामिल हो गए हो
भावार्थ: जब दिल सच्चे प्रेम में डूबता है, तो वह आध्यात्मिक प्रेमियों के साथ जुड़ जाता है, जो ईश्वर या परम सत्य के आशिक होते हैं।
“नज़र की पहुँच के पार लेना नज़ारे सीनों के गली-कूचों में दौड़ें मारना”
- नज़र की पहुँच के पार लेना नज़ारे → उस सीमा से परे देखना जो हमारी आंखें सामान्यतः देख पाती हैं
- सीनों के गली-कूचों में दौड़ें मारना → अपने हृदय की गहराई और भावनाओं के भीतर घूमना
भावार्थ: संसार को आंखों की सतही नजर से नहीं, बल्कि दिल और आत्मा की गहराई से देखना।
“ऐ जान, कब आया तुझ में ये दम? ऐ दिल, कब से इस धड़कन को जाना?”
- ऐ जान, कब आया तुझ में ये दम? → हे मेरी आत्मा! ये जीवन शक्ति और ऊर्जा कब आई तुझमें?
- ऐ दिल, कब से इस धड़कन को जाना? → हे दिल! कब से तुम इस जीवन के स्पंदन और प्रेम को समझने लगे?
भावार्थ: यह सवाल है आत्मा और दिल से कि कब और कैसे उनमें यह प्रेम और जागरूकता आई — एक रहस्य जो अनुभव के माध्यम से खुलता है।
🪔 संपूर्ण भावार्थ:
रूमी इस शायरी में कहते हैं कि सच्चा इश्क़ (प्रेम) जीवन की सीमाओं से ऊपर उठने का नाम है। यह हर क्षण नई-नई परतें खोलता है और आत्मा को सांसारिक बंधनों से मुक्त करता है। संसार को एक नई नज़र से देखना होता है, जो पहले कभी न देखी हो। जब दिल सच्चे प्रेम के दायरे में आता है, तो वह अपनी गहराई में खो जाता है और ईश्वरीय प्रेम का हिस्सा बन जाता है। यह प्रेम एक आध्यात्मिक उड़ान है, जो शरीर की सीमाओं से परे चली जाती है।