पीले प्याला हो मतवाला
पीले प्याला हो मतवाला - 1
पीले प्याला हो मतवाला, प्याला नाम अमीरस का रे॥
बालपन सब खेल गँवाया, ज्वान भयो नारी बस का रे, वृद्ध भयो तन काँपन लागे, खाट पर न जाय खसका रे ॥ १ ॥
नाभि कमल बिच है कस्तूरी, जैसे मिरग फिरै बन का रे। बिन सतगुरु इतना दुख पाया, बैद मिला नहिं इस तन का रे ॥ २ ॥
मात पिता बन्धू सुत तिरिया, संग नहीं कोई जाय सखा रे । जब लग जीवै भजन भक्ति करु, धन यौवन है दिन दस का रे ॥ ३ ॥
जन्म मरण से बचना चाहो, तो छोड़ो कामिनि चसका रे। कहैं कबीर सुनो भाई साधो, नख सिख पूर रहा विष का रे ॥ ४ ॥
~ कबीर साहब