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मेरी चतुष्पदियाँ.
2025
दिनचर्या को माने दुख, जीवन को माने श्राप
बोरे बनना चाहे कलाकार, मांगे जग का आदर
फिरत फिरत माया के पीछे, चाहे बोरे राम
पूछे लोग क्या बनना तुझे, क्या बनु इस जलती हुई दुनिया में
जन्म मरण के बारे में सोचे बोरे
शून्यता में ही सतानंदप्रेम है, छोड़ो सारे भेद
धर्म ओर कर्तव्य क्यो कहे, जीवन तो प्रेम